कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि खुला विश्वविद्यालय के पत्राचार पाठ्यक्रम इस तरह से बनें कि उनमें युग की आवाज ध्वनित हों। उन्होंने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विद्यार्थियों के भविष्य के लिए उपयोगी पाठ्यक्रम निर्मित करने और पहले से बने पाठ्यक्रमों को अपडेट करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ—साथ कौशल विकास से भी विद्यार्थियों को जोड़ें।
श्री मिश्र बुधवार को वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह समय सूचना क्रांति और इंटरनेट का है। इस दौर में खुला विश्वविद्यालय की प्रासंगिकता तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने विजुअल क्लासरूम लर्निंग, इंटरैक्टिव लर्निंग और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए साधारण पाठ्यक्रमों के साथ रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों का प्रभावी संचालन किए जाने का आह्वान किया।
श्री मिश्र ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को पूरा करने के लिए कौशल विकास से जड़ी शिक्षा ही अधिक उपयोगी है। उन्होंने विश्वविद्यालय के आचार्यों को नवीन ज्ञान सृजन पर कार्य करने, शोध की मौलिक संस्कृति विकसित करने तथा विश्वविद्यालयों को अपने यहां शोध में ‘लैब-टु-लैंड’प्रोग्राम चलाकर किसानों के हित में अनुसंधान करने की भी आवश्यकता जताई।
राज्यपाल ने खुला विश्वविद्यालय को शैक्षिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से कार्य किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसी शोध पीठों की स्थापना अपने यहां करे जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मंतव्य को प्रभावी रूप में पूरा किया जा सके।
श्री मिश्र ने कोटा खुला विश्वविद्यालय द्वारा बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा प्रदान किए जाने के कदम की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कदम महिला शिक्षा के लिए बहुत प्रेरणादायी है। उन्होनें शैक्षिक नवाचारों के साथ विश्वविद्यालय को ज्ञान की भारतीय परम्परा का उत्कृष्ट केन्द्र बनाए जाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.कैलाश सोडानी ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। राज्यपाल ने आरंभ में संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।