देश के लिए सरकारो ने समय समय पर विभिन्न योजनायें प्रारम्भ की। पं. जवाहर लाल नेहरू के समय मे प्रारम्भ की गयी पंचवर्षीय योजना से लेकर श्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में अटल पेन्शन योजना प्रारम्भ की गई और इन सभी योजनाओं का जनमानस के मन मष्तिक पर प्रभाव विभिन्न रूपों मे प़ड़ा है। लेकिन एन.डी.ए. सरकार के गठन के पश्चात जब श्री नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए तो इन्होने देश का विकास सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न योजनायें चलायी। इन योजनाओं की मुख्य विशेषता यह है कि इन योजनाओं ने न ,सिर्फ देश के विकास मे …
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किसानों की समस्यायें व उनका निवारण
भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की 70 प्रतिशत आबादी कृषि व कृषि उत्पादों पर निर्भर करती है। परन्तु विगत कुछ दशकों से सरकार किसानों के प्रति गलत नीतियों के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय स्थिति में पहुंच गई है और कर्ज के बोझ से दबकर लगभग लाखों किसानों में आत्महत्या कर ली है। इसका मुख्य कारण आजादी के पश्चात किसानों के हित की लगातार अनदेखी की गई। यद्यपि प्रथम दो पंचवर्षीय योजनाओं में सिंचाई व अन्य सुविधाओं को विकसित करने के प्रयास किये गये परन्तु 60 के दशक तक खाद्यान्नों के मामले में हमे दूसरे …
Read More »जी.एस.टी देश के आर्थिक सुधार मे क्रांतिकारी कदम
30 जून 2017 को संसद के सेन्ट्रल हाल मे जी.एस.टी लागी किया गया, महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी एंवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसे लागू किया। आजादी के पश्चात जी.एस.टी भारतीय कर व्यवस्था मे सबसे बढ़ा कदम है। इससे कर दाताओं को दोहरा लाभ होगा, उन्हे टैक्स अदा करने मे आसानी होगी और इससे अधिक से अधिक टैक्स देपायेंगे। अब कर दाताओं को विभिन्न प्रकार के टैक्सो जैसे बिक्री कर, इक्साइज टैक्स, कस्टम टैक्स और राज्य कर हेतु अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जी.एस.टी एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो व्यापक पामाने पर पूरे देश के …
Read More »NJAC was the people’s will
On October 15, a constitutional bench comprising five judges declared the National Judicial Appointments Commission (NJAC) act unconstitutional on the plea that it would affect the independence of the judiciary. The bench also struck down the 99th Constitution Amendment Act, which was passed unanimously by both Houses of Parliament. In fact, the judgment has tried to compromise with the basic structure of the Constitution of India. The Constituent Assembly, in the Preamble to the Constitution, made it clear that the people of India will be the sovereign of the Indian Republic. The most important structure of the Constitution is parliamentary …
Read More »गंगा : देश की जीवनधारा
गंगा भारत की जीवनधारा है यह केवल नदी ही नहीं, भारत की आस्था, संस्कृति , परंपरा, सभ्यता की स्वर्णिम इतिहास, प्रेरणा और पूजा है | विशाल जलराशि समेटे गंगा भारत की शाश्वत पहचान, आजीविका का उपक्रम और मर्यादा है| हिन्दू परंपरा में गंगा माँ है, अति पूज्य है गंगा के बारे में अनंतकाल से न जाने कितनी जनश्रुतियां प्रचलित हैं। राजा भागीरथ गंगा को अपने अद्भुत तथा सफल तप से धरती पर लाए थे । इस तपस्या ने उनको अमर एवं वंदनीय बना दिया । उनका प्रयास भागीरथ प्रयास के रूप में एक लोकप्रिय जनश्रुति बन गया । अब वह …
Read More »नारी के सम्मान की सुरक्षा सरकार व् समाज का सामूहिक उत्त्तरदायित्व
वैदिक भारत में नारी का स्थान पूजनीय व् सम्मानित था, परन्तु आज के पुरुष प्रधान समाज में नारी को अपने सम्मान व् सुरक्षा हेतु सदैव पुरुषों पर सदैव आश्रित माना जाता रहा है l बचपन में पुत्री के रूप में पिता पर आश्रित, युवावस्था में पत्नी के रूप में पति पर आश्रित और वृध्दावस्था में माँ के रूप में पुत्र पर आश्रित रही है l परन्तु आज के आधुनिक युग में जहाँ स्त्री आर्थिक रूप से स्वावलम्बी हो चुकी है, शिक्षा के हर क्षेत्र में पुरुषों का कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रही है परन्तु सम्मान व सुरक्षा की दृषिट से काफी …
Read More »भूमि अधिग्रहण का वर्तमान स्वरूप किसानों के सम्मान व सुरक्षा के लिए
भूमि अधिग्रहण बिल-2015 एक लम्बे संघर्ष का परिणाम है । यद्यपि प्रारंभ में इसे किसान विरोधी व किसानों को विस्थापित करने वाले दमनकारी कानून के रूप में जाना जाता था । लगभग 125 वर्षों के संघर्ष के पश्चात किसानों के सम्मान एवं सुरक्षा के मानक के रूप में यह अधिनियम अपने वर्तमान रूप में आया है । यद्यपि कुझ स्वार्थी लागों द्वारा इसे किसान विरोधी कहा जा रहा है जो असत्य है । इसके वास्तविक स्वरूप और उद्देश्य को जानने के लिए इसके 125 वर्ष के इतिहास को जानना आवश्यक है । वष्र 1894 में ब्रिटिश इंडिया सरकार ने एक …
Read More »नए आर्थिक परिप्रेक्ष्य में एक संतुलित और विकासोन्मुख बजट 2015-16
सन 1990 के बाद वैश्वीकरण के युग के पश्चात देश के वार्षिक बजट में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। जहां 1990-91 में केंद्र सरकार का खर्च जीडीपी का कुल 17 प्रतिशत हुआ करता था और सरकार विभिन्न वर्ग, समूहों को राहत देने के उद्देश्य से सब्सिडी का भारी बोझ रहा करता था परन्तु अब सरकारी खर्च और सब्सिडी पर लगातार कटौती की जा रही है। वर्ष 2013-14 में सरकारी खर्च जीडीपी का 13.7 प्रतिशत था, एनडीए सरकार ने वर्ष 2014-15 में इसे जीडीपी का 13.3 प्रतिशत रखा और इस वर्ष के बजट में यह जीडीपी का 12.6 प्रतिशत रखा गया है। …
Read More »Mechanism for Selection and Appointment of Judges
Ancient India had a fairly well-developed system of administration of justice. The king was considered as the fountain of justice. In the discharge of his function, he was assisted by the Brahmins. Who were proficient in dharmshatras. For appointment of judges, Caste consideration was a dominant factor. Brahmins were preferred for judicial appointment. As regards qualification, it was clearly laid down that the person should be proficient in the text; should be master of vedas and smritis and follow the path of Dharma. Women were not allowed to hold judicial office. Judge’s tenure depended entirely on the pleasure of the …
Read More »Decade after Economic Liberalisation
India liberalized its economy in 1991, opting for globalisation. Today, millions of people still go hungry in this country despite high growth in the economy. Inflation has added to their woes. Development that does not benefit the masses is meaningless. India adopted the policy of liberalisation, privatisation and globalisation in 1991 to ensure economic growth. India is now seen as the second fastest growing economy of the world and its rate of growth is expected to hit double digist in the near future. Among the notable features of the economy in 2010-11 were exports touching $245 billion in compassion to …
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